HANUMAN CHALISA LYRICS
HANUMAN CHALISA LYRICS: हिन्दू देवी देवताओ में बजरंग बलि श्री हनुमान जी को बहुत सारे भक्त बड़ी ही शिद्दत से मानते हैं. इस कड़ी में ये भक्त अक्सर या यू कहें की निरंतर ही हनुमान चालीसा का जाप करते हैं. कुछ भक्त हनुमान चालीसा YOUTUBE विडियो चला कर सुनते हैं, तो कुछ भक्त इसे स्वयं ही जाप करते हैं.
कुछ भक्तो को HANUMAN CHALISA LYRICS कंठस्थ याद रहती है, तो कुछ भक्त इसे पूजा अर्चना करने के वक़्त ऑनलाइन तलाशते हैं. इसी समस्या के समाधान के लिए हमने हनुमान चालीसा का दोहा या यु कहें की HANUMAN CHALISA LYRICS को निचे पंक्तियों में लिखा है. आप इस HANUMAN CHALISA LYRICS का इस्तेमाल करके अपनी पूजा/ अर्चना तो पूर्ण कर सकते हैं. आपका धन्यवाद. जय जय हनुमान.
हनुमान चालीसा दोहा / HANUMAN CHALISA LYRICS
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
हनुमान चालीसा चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
हनुमान चालीसा दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
जय श्रीराम, जय हनुमान, जय जय हनुमान।
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हनुमान जयंती 2024 कब है?
हनुमान जयंती एक हिंदू त्योहार है जिसमे हिंदू देवता और रामायण के महानायक हनुमानजी के जन्मदिवस को श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। हनुमान जयंती का उत्सव भारत के विभिन्न राज्यों में समय और परंपरा के अनुसार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। भारत के अधिकांश उत्तरी राज्यों में, यह त्यौहार हिंदू महीने चैत्र की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2024 में हनुमान जयंती 23 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा।
दिनांक: मंगलवार, 23 अप्रैल, 2024
पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा): 23 अप्रैल 2024 को 03:27:59 बजे शुरू होगी
पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा): 24 अप्रैल, 2024 को 05:20:30 बजे समाप्त होगी
हनुमान अष्टक भजन | HANUMAN ASHTAK LYRICS
Lyrics – ॥ हनुमानाष्टक ॥
बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥ लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर । वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
HANUMAN JI KI PHOTO | हनुमान जी की फोटो
हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाई जाती है?
साल में पहली हनुमान जयंती को चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और दूसरी हनुमान जयंती को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. हनुमान जयंती की एक तिथि को विजयअभिनंदन के रूप में मनाया जाता है, जबकि दूसरी तिथि को बजरंग बाली के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
वायु पुराण के मुताबिक हनुमान जी के जन्म को लेकर कुछ श्लोक भी दिए गए हैं.
“आश्विनस्या सितेपक्षे स्वात्यां भौमे च मारुतिः।
मेष लग्ने जनागर्भात स्वयं जातो हरः शिवः।।”
अर्थात वायु पुराण के मुताबिक कहा जाता है कि हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को दिन मंगलवार स्वाति नक्षत्र के मेष लग्न में हुआ है. हालांकि कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि के दिन छोटी दीपावली मनाई जाएगी. कार्तिक माह में पड़ने वाली हनुमान जयंती छोटी दीपावली के दिन मनाई जाती है. इस बार दूसरी बार हनुमान जयंती तिथि के अनुससर 31 अक्तूबर को मनाई जानी है।
हनुमान जयंती कैसे मनाई जाती है?
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जयंती मनाने से हनुमान भक्त की कठिनाइयों को कम करने और उनकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद मिलती है। इस खास दिन को मनाने की विशी के अनुसार बजरंगबली को सिन्दूर लगाकर, पीपल के पत्ते, बेसन के लड्डू और लाल रंग के फूल चढ़ाने से जीवन में खुशियां आती हैं। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर जहां कहीं भी भगवान श्री राम की पूजा होती है, वहां रामभक्त श्री हनुमान जी सदैव मौजूद रहते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए, हनुमान जयंती के अवसर पर रामचरितमानस का पाठ किया जाता है, जिससे मनुष्य को अपार खुशी और समृद्धि मिलती
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